Basaman Mama Temple Story: Near Purva Water Fall, about 35 km from Rewa

रीवा से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित बसामन मामा की कथा 

बसामन मामा ने लगभग 8 शताब्दी पहले इसी भूमि में पर्यावरण की रक्षा के लिए आत्म बलिदान दिया था। लोक मान्यता के अनुसार यहाँ पर पीपल के एक वृक्ष को अनाथ बालक ने अपना पिता और उसके नीचे स्थित चबूतरे को अपना आश्रय स्थल बना रखा था। इस वृक्ष की रक्षा के लिए हमेंशा तत्पर रहने वाले बसामन मामा इस अंचल में लोकप्रिय हुये। कहा जाता है कि उन्होंने साधना कर कुछ सिद्धियां प्राप्त की थी जिससे दूर दूर तक उनके प्रति लोक आस्था थी।
एक बार राजा के सैनिकों ने अपने पड़ाव में शामिल हाँथियों के खाने के लिए उस पीपल के वृक्ष को काटने की चेष्टा की जिसका प्रतिरोध बसामन मामा ने किया। तत्कालीन राजा ने इसे अपना अपमान समझ कर बसामन मामा को दण्डित करने का निश्चय लिया जिसके लिए उन्होंने ने उस पीपल के वृक्ष को काटने की कुचेष्टा करके बसामन मामा को अपमानित किया। तब बसामन मामा ने अपनी सिद्धियों से उस पेड़ को बचाये रखने के लिए सैनिकों से मुकाबला किया। लेकिन राजा के एक षड़यंत्र के तहत जब बसामन मामा विवाह करने के लिए अपने ससुराल गए उसी रात राजा ने पीपल के उस वृक्ष को जड़ मूल से नष्ट करवा दिया। अगली सुबह बसामन मामा जब दूल्हे के रूप में वापस लौटे तो कटे हुए पीपल के वृक्ष देख कर क्रोध अग्नि में जलने लगे और राजा को इस हत्या के लिए श्राप देते हुए अपनी ही कटार से आत्माहुति दे दी।
इस घटना के बाद उन्हें बसामन से बसामन मामा की ख्याति मिली। इसी कटे पीपल के वृक्ष के नीचे उनकी समाधि है जिसको स्थानीय लोग पूजते हैं। लोक मान्यता है कि इस सुरम्य वन अंचल के पर्यावरण संरक्षण में बसामन मामा की प्रेरणा और कृपा बनी हुई है।